मनुष्य नें जिन पशुओं को पालतू बनाया है उनमें से कुछ के भाई-बंधु अब भी जंगली रूप में भी हैं- जैसे जंगली घोड़े जिन पर सवारी नहीं की जा सकती, जंगली भैंसें जिनके सींग अधिक डरावने हैं. अफ्रीका के जंगली हाथी,कुत्ते जिनके नजदीकी रिश्तेदार जंगली कुत्तों और भेड़ियों के रूप में अब भी जंगली रूप में मौजूद हैं. आश्चर्य यह है कि सिर्फ गाय प्रजाति ही जंगली अवस्था में नहीं मिलती. उनके पुरखों को आदमी नें जंगल में छोड़ा ही नहीं. पालतू भैसों की सींग भी जंगली भैसों से बिलकुल अलग तरह की होती है.उनकी प्रकृति गुस्सैल अधिक है. इन शाकाहारी जंगली जानवरों को पालतू बनाने में मनुष्य का बन्दर प्रजाति का होना बहुत काम आया होगा- उसके हाथों, उँगलियों और अंगूठों के विकास ने उसे धरती का बादशाह बना दिया .ग्रीष्म ऋतू में घास की कमी के बाद आदमी की करुणा जागी होगी और उसने मुफ्त में ऊँचे पेड़ो की हरी पत्तियां गिरा कर कई पशुओं को अपना ऋणी बना लिया होगा. पहले अपने लिए बाड़े बनाकर अपनी जान बचायी होगी फिर अपने पालतू पशुओं को भी शरण दिया होगा .कुत्तों के भौकने वाले गुण को पहचान कर उससे अपना भोजन बांटा होगा और उसकी सहायता से सुरक्षित सोना सीख होगा जैसा कि आज भी पशु-पालक करते हैं. जंगली अवस्था नें मनुष्यों के पूर्वजों को बबर शेर जैसी दाढ़ी नें भी उसे भरपूर आत्म-विश्वास दिया होगा. सच पूछा जाय तो मनुष्य एकमात्र बबर बन्दर है.. जंगली अवस्था में उलझे लम्बे बालों के कारण पूर्वज स्त्रियों और पुरुषों दोनों की ही पतली गर्दन अच्छी तरह ढँक- छिप गयी होगी. इससे शेरो न को भी मनुष्य का शिकार करने में मुश्किल हुई होगी. फिर उसने दो पैरों पर चलाना सीखकर अपना सर आसमान में उठा लिया होगा.शेरनियां शिकारकरने का जो ट्रेनिग देती हैं उसमें चोपयों को दौड़कर उनका गला घोंट कर मारना मुख्य है .अबतक बबर बन्दर दो- पाया हो चला था. शिकारी पशुओं की ट्रेनिग चौपायों के शिकार की होती है. अब उसने दो पैरों को हाथों में बदल कर लट्ठ भी उठा लिया था.अब उसका सामना दुनिया का कोई पशु नहीं कर सकता था. अब तक वह पशुओं का सरगना हो चूका था.जब शिकारी पशुओं नें भी उससे हार मान लिया तो उसने स्वयं मनुष्य का ही शिकार करना शुरू कर दिया.उसने शेरो की दहाड़ का सामना करने के लिए ही दुनिया का पहला नगाडा बनाया होगा. जब जोरसे पीटाा होगा तो उसकीआवाज सुन कर शेर ही दहाड़ना भूल गया होगा और डरकर जंगल से भाग गया होगा. सारी दुनिया में मनुष्य जाति ड्रम बजाकर शेरो को डराती रही है. फिर शंख और सींगा बजा कर भेडियों और सियारों को भी डरा दिया होगा. यह कितने गर्व की बात है कि हम यदि सैलून में जाना छोड़ दें तो बबर बन्दर हो जाएंगे. जब आदमी बबर बन्दर रहा होगा तो शेर भी उससे डर जाता होगा कि इसके बाल तो हमसे बड़े हैं.
रामप्रकाश कुशवाहा
०१.०८.२०१६
०१.०८.२०१६
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