Tuesday, 31 January 2017

यादें

बहुत पास से गुजरा था ,अहसास से गुजरा था 
पिता के हाथ में था हाथ ,माँ के पास से गुजरा था 
वहां दुनिया थी कोई और ,इस अहसास से गुजरा था
समय को मारते ठोकर हरी-सी घास से गुजरा था 
हर पेड़ की जड़-सा ,हंसी की बात-सा गुजरा था 
पूरी आश सा गुजरा था ,शाबाश-सा गुजरा था 
कहीं मधुमास सा ,कहीं बिलकुल ख़ास सा गुजरा था

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