हृदयेश मयंक की पहचान हिंदी जगत में उनके द्वारा सम्पादित पत्रिका 'चिंतन -दिशा 'को लेकर है .लेकिन उनके भीतर एक भले मनुष्य की वह गहरी संवेदनशीलता है जिसके बिना कभी बड़ा साहित्यकार बना ही नहीं जा सकता .आज जिस तरह जिंदगी के साहित्यकार और मनोरंजन के साहित्यकार संचार-माध्यमों में एक ही मूल्यांकन के पलड़े पर विज्ञापित हो रहे हैं उससे सार्थक और प्रचारार्थक साहित्य का भेद मिट सा गया है .हृदयेश मयंक जी नें अपने सद्यः प्रकशित कविता-संग्रह -'हम ये जो मिटटी के बने हैं 'के लिए भूमिका में लिखा है कि 'संग्रह की कविताएँ मेरे सुख-दुःख के समय में तनिक आह्लादित करने वाले संवादों की तरह हैं .ये मुझे मेरे कमजोर क्षणों में उबारती रही हैं .इसलिए मैं कविताओं को बहुत प्यार करता हूँ .''
उनके इस संकलन की कविताएँ पढ़ते हुए जिंदगी को ही एक घटना की तरह देखती और दिखाती हुई कविता को गंभीर अर्थवत्ता सौंपती चलती हैं .वे अपने जिए हुए को और अपने आस-पास के जीवन-परिवेश को बहुत पास से और भीतर से देखना और दिखाना चाहते हैं .उनकी कविताएँ सामाजिक संवेदनशीलता को जीवन-सरोकार के रूप में प्रस्तुत करती हैं..एक ऐसे समाज की की जीवन-चर्या और उदासीनता का प्रत्याख्यान प्रस्तुत करती हुई जहाँ -''अन्दर नहीं झांकना चाहता था कोई /एक आग सदियों से जल रही है जहाँ /वहां आंच है ,धुंवां है ,बेचैनी है /बाहर निकाल पड़ने की /इसकी खबर क्यों नहीं है लोगों को ?"(पृष्ठ ४३ ,'खबर' कविता )'मैंने बांटना चाह दु:ख /वह चिपक गया छाती से "" या फिर उनकी 'वसीयत ' कविता को ही देखें -''यदि कहीं कोई टुकड़ा है /धरती का मेरे नाम /मैं उसे छोड़ दूंगा /तुम सबके लिए " (पृष्ठ ३१ ) या फिर 'दु :ख ' 'यदि कोई दिल पर हाथ रखा कर बताए /अपने सबसे करीबी का नाम /वह दूख के बारे में ही बतलाएगा '.या फिर 'जीवन को तो बचाना है ' की 'बन्नने होंगे जीवन के लिए नए सौन्दर्य-बोध 'जैसी चिंताए हृदयेश की कविताएँ मनोरंजन की कलात्मक प्रस्तुति नहीं बल्कि जीवन-परिवेश की चिंता और परिवेश की कविताएँ लगती हैं
उनकी कविताएँ कविता के बाजार से अलग हटकर हस्तक्षेप की इच्छुक सबसे संवेदनशील मनुष्य के एकांत-चिंता के रूप में लिखी गयी हैं .इस संकलन में 'गॉड पार्टिकल 'जैसी कविताएँ भी है जो मनुष्य की सभ्यता के विकास के साथ ईश्वर के बदलते चेहरों का भी शिनाख्त करती हैं तो 'एक स्त्री ' जैसी कविता भी है जो घर की देहरी में बंद और छंद को छूने को तैयार स्त्री का तुलनात्मक विमर्श प्रस्तुत करती है .
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